और होता ही रहेगा,
चलो आज
दोपहर की धूप का
लुत्फ़ उठाते हैं|
इन चेहरे से टकराते
सर्द हवा के झोंकों में
ज़रा एक ठंडी साँस भरते हैं|
अरे भई लिखते रहेंगे, पढ़ते रहेंगे,
अभी तो उम्र बाकी है
फिलहाल चलो
धूप में बैठकर
खट्टे-मीठे संतरे
खाने का मज़ा लेते हैं,
सुनेहेरी किरणों की चादर ओढ़कर
चैन भरी अंगड़ाई लेते हैं,
एक-आध झपकी लगाते हैं|
छोड़ो ना यार,
कभी तो कुछ तो कर ही जाएँगे,
कभी तो कुछ तो बन ही जाएँगे,
चलो आज
आराम से
सर्दियों की धूप का आनंद उठाते हैं|
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